श्री राम मंदिर का निर्माण व प्राण प्रतिष्ठा दिनांक 22/01/2024 को प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के कर कमलो द्वारा, तथा उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री श्री योगी आदित्यनाथ व राज्यपाल श्रीमति आनंदी बेन पटेल तथा आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत की मौजूदगी में सम्पन्न हुआ. इस अवसर पर देश-प्रदेश के तमाम दिग्गज नेता, अभिनेता, साधु-संत, व भक्तगण अयोध्या में मौजूद रहे.
किन्तु सबसे ज्यादा कौतुहल बात यह थी की जो मूर्ति जन्मभूमि पर स्थापित हुई है, वो ऐसी थी मानो सच में किसी ने प्राण डाल दिए हो. आँखे तो ऐसी थी मानो समुद्र सी गहराई. हर एक व्यक्ति यह जानना चाहता है की आखिर कौन है वो सौभाग्यशाली जिसको अपने हाथो से प्रभु श्रींराम की मूर्ति बनाने का सौभाग्य प्राप्त हुआ. तो आइये जानते है की किसने बनाई भगवान श्री राम की मूर्ति
मूर्ति की स्थापना
विदित है की प्रभु श्रीराम अयोध्या में विराज चुके है, भक्तगणों के लिए प्रभु के कपाट भी खुल चुके है. किन्तु हालात ये है की ये भीड़ प्रशासन से संभाली नही जा रही क्योकि ये मात्र दो वर्षो का इंतजार नही बल्कि सदियो की तपस्या है जिसका फल अब जाकर मिला है. खैर हमारी चर्चा का विषय यह नही है अतः इसको फिलहाल हम यही छोड़ते है.
दिनांक 05 अगस्त 2020 को प्रधानमंत्री मोदी ने श्री राम मंदिर का भूमिपूजन किया था. और भूमिपूजन के लगभग 3 वर्ष 5 महीने 17 दिन बाद श्री राम लला अपने गर्भगृह में स्थापित हो चुके है.
क्या खास है प्रभु के मूर्ति में
प्रभु की मूर्ति काले पत्थर से निर्मित है जिसका कुल वजन लगभग 200किलो है. यह काला पत्थर कर्नाटक राज्य के कृष्टशीला नामक जगह का है जिसपर प्रभु को साक्षात उकेरा गया है. इस मूर्ति पर भगवान के दसो अवतार को बनाया गया है. राम लला के सबसे ऊपर सूर्य देव को जगह दी गयी है क्योकि प्रभु श्री राम सूर्यवंशी थे.
मूर्ति में रामलला के 5 वर्ष के बालरूप को उकेरा गया है. माथे पर चंद्रमा सी शीतलता, चेहरे पर सूर्य जैसा तेज, आंखों में समंदर सी गहराई और होठो पर निश्छल मुस्कान. प्रभु की मूर्ति को जो भी एकबार देख ले वो उनका ही होकर रह जाएगा. जो भी मूर्ति को निहारेगा वो एकटक निहारता ही रह जाएगा. मन को एकदम मुग्ध कर देती है उनकी मुस्कान. आंखों की बनावट तो ऐसी है मानो प्रभु अब बोल ही पड़ेंगे. इतनी गहनता और गहराई से आंखे बनाई गयी है की आप डूब ही जाएंगे प्रभु में. पाव से लेकर मुख तक तेज ही तेज है.
कौन है मूर्तिकार
अयोध्या में स्थापित श्रीराम लला की मूर्ति को बनाया है मूर्तिकार अरुण योगीराज ने. रामलला की मूर्ति के लिए 3 लोगो द्वारा मूर्तिओ का निर्माण किया गया था जिसमे अरुण योगीराज की मूर्ति का चयन किया गया है. क्योंकि इनकी मूर्ति की खासियत हम आपको ऊपर बता ही चुके है. आईये जानते है की आखिर कौन है ये?
अरुण योगिराज
इनका जन्म कर्नाटक के मैसूर जिले में हुआ है. इनके अंदर बचपन से ही मूर्ति बनाने की कला थी. ये कला इनको विरासत में मिली है. क्योकि इनके पिता जी और उनसे पहले भी उनके दादा जी मूर्ति का निर्माण करते थे. उनके दादा उस समय मैसूर के राजा के दरबारी मूर्तिकार भी थे. उन्ही से ये कला इनको विरासत में मिली.
शिक्षा और नौकरी
अरुण योगिराज मूर्ति बनाना छोड़ पढ़ाई करने लगे. ग्रेजुएशन में MBA करने के पश्चात एक कंपनी में नौकरी करने लगे. लेकिन उसमे उनका मन नही लगा. अचानक वो नौकरी छोड़ घर चले गए और जाकर पुनः मूर्ति निर्माण करने लगे. माता-पिता के पूछने पर बताया की अब उन्हें यही करना है.
उपलब्धि
फिर वो मूर्ति बनाने में इतने माहिर हुए की पूरे देश में उनके मूर्तियो की चर्चा होने लगी. दिल्ली में इंडिया गेट पर 30 फ़ीट उची नेता जी सुभाष चंद्र बोष की मूर्ति भी इन्होंने ही तैयार की है. नेता जी की 125वी जयंती पर यह मूर्ति इंडिया गेट पर लगाई गयी थी. इसी मूर्ति का एक रूप जोकि 2 फ़ीट का था उसको उन्होंने प्रधानमंत्री मोदी को भेंट भी किया था.
इस तरह प्रधानमंत्री मोदी भी इनकी कारीगरी के कायल हो गए थे. फिर जब रामलला की मूर्ति को गढ़ने की बारी आयी तो 3 लोगो का चयन किया गया जिसमे अरुण योगिराज भी थे. और अंततः इनकी बनाई हुई मूर्ति का चयन किया गया.
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